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घर से बाहर मत निकल बाहर कड़ा पहरा है थोड़ा सब्र र

घर से बाहर मत निकल बाहर कड़ा पहरा है

थोड़ा सब्र रख अच्छे दिन आने वाला है

आज से हमने बे मतलब मुस्कुराना बंद कर दिया है नहीं तो इए दुनिया पागल समझने लगता हमको

मेरी बात मानो तो तुम भी कल से ईयू बे मतलब के टेहेलना कर दो बंद नहीं तो इए दुनिया चौकीदार समझने लगेगी तुमको

आजकल बहत डराने लगे हो तुम हमको

अब बहत हुआ अब छोड़ दो इए बचपना

नहीं तो हद से गुजर जाना किसे कहते एक दिन दिखा देंगे हम तुमको

एक आम आदमी का होता है सिर्फ़ उसके काम से और बढ़ती मंहगाई से बास्ता

इस देश की सियासत और देश की अर्थव्यवस्था से उसका नहीं होता है दूर दूर से कोई रिश्ता

आजकल हम समझ ने लगे है नियत तुम्हारी

अब बहत हुआ अब सुधर जाओ नहीं तो इस बार पड़ेगा तुमको बहत भारी

कवि_sai Mahapatra पड़ेगा भारी
घर से बाहर मत निकल बाहर कड़ा पहरा है

थोड़ा सब्र रख अच्छे दिन आने वाला है

आज से हमने बे मतलब मुस्कुराना बंद कर दिया है नहीं तो इए दुनिया पागल समझने लगता हमको

मेरी बात मानो तो तुम भी कल से ईयू बे मतलब के टेहेलना कर दो बंद नहीं तो इए दुनिया चौकीदार समझने लगेगी तुमको

आजकल बहत डराने लगे हो तुम हमको

अब बहत हुआ अब छोड़ दो इए बचपना

नहीं तो हद से गुजर जाना किसे कहते एक दिन दिखा देंगे हम तुमको

एक आम आदमी का होता है सिर्फ़ उसके काम से और बढ़ती मंहगाई से बास्ता

इस देश की सियासत और देश की अर्थव्यवस्था से उसका नहीं होता है दूर दूर से कोई रिश्ता

आजकल हम समझ ने लगे है नियत तुम्हारी

अब बहत हुआ अब सुधर जाओ नहीं तो इस बार पड़ेगा तुमको बहत भारी

कवि_sai Mahapatra पड़ेगा भारी

पड़ेगा भारी