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"मतलब की नदी" वो बन जाते हैं बच्चे-बच्चों की परवर

"मतलब की नदी"

वो बन जाते हैं बच्चे-बच्चों की परवरिश के लिए
बड़े मतलबी होते हैं माँ-बाप 
की 
अक्सर छुपा लेते हैं अपने गम-बच्चो की खुशियों के लिए ।

वो त्याग देते हैं अपने सपने-बच्चों के सपनो के लिए
बड़े मतलबी होते हैं माँ-बाप 
की
अक्सर भुला देते हैं अपनी दूनिया-बच्चो के सपनो के लिए ।

वो कहते हैं ना-सबका वक़्त आता है ,
माँ-बाप का भी वो दौर आता है जब उन्हें बस ख़्वाइस होती है बच्चो के साथ कि-फिर भी

वो दबा देते हैं अपनी ख्वाइशें-बच्चो की ख्वाइशों के लिए
बड़े मतलबी होते हैं माँ-बाप 
की 
अक्सर रह लेते हैं अकेले-बच्चों की ख्वाइशों के लिए ।

बड़े होगए हैं हम, 
एक आज़ादी चाहिए,
कब तक यही रहेंगे -अब बहार निकलना है ,
इन अल्फाज़ो को सुनकर भी नहीं पिघलते 
और झट से कह देते हैं ,
जाओ देखलो अपना-हम रहलेंगे अराम से 
फिर भी जाते-जाते आखिर में कह ही जाते हैं,
अपना ध्यान रखना, 
सही में- बड़े मतलबी होते हैं माँ-बाप 
अपना हर दर्द छुपा लेते हैं-बच्चों के मर्हम के लिए ।

और
ये मतलब की नदी पीड़ी दर पीड़ी यूँ ही बहती जाती है
क्योंकि 
सही मैं
बड़े मतलबी होते माँ-बाप , 
सिर्फ 
अपने बच्चों की एक मुस्कान के लिए।।।

वक़्त रहते अपनी ज़रूरतों के साथ उनकी ज़रूरतें भी समझो ,
वरना एक दिन ऐसा वक़्त आएगा,
सब वक़्त से यूँ ही कहोगे-की
अब
वक़्त से वक़्त की क्या शिकायत करें 
वक़्त ही न रहा -वक़्त ही बात है ।।।
#Not for all but for maximum ! "मतलब कि नदी"
माँ-बाप !🙂
#RespectThem !
             &
#UnderstandThem !
Be happy always 🙂
Mahadev bless you all !
"मतलब की नदी"

वो बन जाते हैं बच्चे-बच्चों की परवरिश के लिए
बड़े मतलबी होते हैं माँ-बाप 
की 
अक्सर छुपा लेते हैं अपने गम-बच्चो की खुशियों के लिए ।

वो त्याग देते हैं अपने सपने-बच्चों के सपनो के लिए
बड़े मतलबी होते हैं माँ-बाप 
की
अक्सर भुला देते हैं अपनी दूनिया-बच्चो के सपनो के लिए ।

वो कहते हैं ना-सबका वक़्त आता है ,
माँ-बाप का भी वो दौर आता है जब उन्हें बस ख़्वाइस होती है बच्चो के साथ कि-फिर भी

वो दबा देते हैं अपनी ख्वाइशें-बच्चो की ख्वाइशों के लिए
बड़े मतलबी होते हैं माँ-बाप 
की 
अक्सर रह लेते हैं अकेले-बच्चों की ख्वाइशों के लिए ।

बड़े होगए हैं हम, 
एक आज़ादी चाहिए,
कब तक यही रहेंगे -अब बहार निकलना है ,
इन अल्फाज़ो को सुनकर भी नहीं पिघलते 
और झट से कह देते हैं ,
जाओ देखलो अपना-हम रहलेंगे अराम से 
फिर भी जाते-जाते आखिर में कह ही जाते हैं,
अपना ध्यान रखना, 
सही में- बड़े मतलबी होते हैं माँ-बाप 
अपना हर दर्द छुपा लेते हैं-बच्चों के मर्हम के लिए ।

और
ये मतलब की नदी पीड़ी दर पीड़ी यूँ ही बहती जाती है
क्योंकि 
सही मैं
बड़े मतलबी होते माँ-बाप , 
सिर्फ 
अपने बच्चों की एक मुस्कान के लिए।।।

वक़्त रहते अपनी ज़रूरतों के साथ उनकी ज़रूरतें भी समझो ,
वरना एक दिन ऐसा वक़्त आएगा,
सब वक़्त से यूँ ही कहोगे-की
अब
वक़्त से वक़्त की क्या शिकायत करें 
वक़्त ही न रहा -वक़्त ही बात है ।।।
#Not for all but for maximum ! "मतलब कि नदी"
माँ-बाप !🙂
#RespectThem !
             &
#UnderstandThem !
Be happy always 🙂
Mahadev bless you all !

"मतलब कि नदी" माँ-बाप !🙂 #respectthem ! & #UnderstandThem ! Be happy always 🙂 Mahadev bless you all ! #not