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शिद्द्त से एक घर बनाया था ,तुमने तो रहना ही छोड़ दि

शिद्द्त से एक घर बनाया था ,तुमने तो रहना ही छोड़ दिया।
बहुत बुलाया तुमको,अब तो कहना ही छोड़ दिया।
जिस चाँद को खिड़कियों से देखा करते थे हम,
उसी ने मुझे तन्हा छोड़ दिया।
किससे पुछूँ तेरा हाल किससे कहूँ तेरी बात,
प्यार में तो तुमने मुझे तड़पा-तड़पा के तोड़ दिया।
सोचता हूँ कि पुछूँ किसी से ,तेरे घर का पता
लेकिन तुमने तो अपना पता ही बदल दिया।
सब कुछ तो ले गयी लेक़िन,पगली भूल गयी अपनी यादों को समेटना
तुमने तो अपनी यादों का क़ब्र ही छोड़ दिया #घर
शिद्द्त से एक घर बनाया था ,तुमने तो रहना ही छोड़ दिया।
बहुत बुलाया तुमको,अब तो कहना ही छोड़ दिया।
जिस चाँद को खिड़कियों से देखा करते थे हम,
उसी ने मुझे तन्हा छोड़ दिया।
किससे पुछूँ तेरा हाल किससे कहूँ तेरी बात,
प्यार में तो तुमने मुझे तड़पा-तड़पा के तोड़ दिया।
सोचता हूँ कि पुछूँ किसी से ,तेरे घर का पता
लेकिन तुमने तो अपना पता ही बदल दिया।
सब कुछ तो ले गयी लेक़िन,पगली भूल गयी अपनी यादों को समेटना
तुमने तो अपनी यादों का क़ब्र ही छोड़ दिया #घर