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"या कस्यो ज़मानों आग्यो" "ब्याहसूं पैला लोग-लुगाई

"या कस्यो ज़मानों आग्यो" 
"ब्याहसूं पैला लोग-लुगाई सागै रहबांनै लाग्या
 लुगाई,  लुगाई सागै ब्याह रचावण लागी 
मरद, मरदरै सागै ब्याह रचावण लाग्या
 हद तो देखो जमानारी राम-सीता
राधा -कृष्णरी धरणी माल़ 
पढ्या लिख्या झज्ज भी मूरख होग्या 
लुगाई -लुगाईरै सागै, मरद -मरदरै सागै ब्याह रचाओ फैसलौ सुणाबां लाग्या
 जद मशीनांसूं टाबर जनमैगा 
आणंद परेम रो धरणी सूं मिट जावैगौ 
बिना परेम कै धरणी रसातल़ रो रुख़ कर लेगी 
समय रहतां जागो मनखड़ा 
साधू संतारी धरणी आपणी
 भगवानरा अवतारा री धरणी आपणी 
आपणा बड़ा-बूढ़ा जया चालता आया
 वा ही रीति -नीति सूं आपा भी चालांगा 
तो चौखौ रहसी, बाकी थे जाणो।"

©Azaad Pooran Singh Rajawat
  #या कस्यो ज़मानों आग्यो #3#

#या कस्यो ज़मानों आग्यो 3# #कविता

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