वैसे ही बिखरीं पड़ी है ज़िन्दगी मेरी नये ख़्वाब सजाने की बात करते हो टूट चुका है जो सक्श रत्ती-रत्ती उसे आज़माने की बात करते हो वक्त नही एक दूजे से बात करने को ऐसे में रिश्ते निभाने की बात करते हो डोल रहा हूँ कस्ती सा बीच मजधार में तैर दरिया पार जाने की बात करते हो जिम्मेदारियों से जकड़ी है ज़मीर यहाँ आजाद उड़ जाने की बात करते हो।PKM.. loneliness