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नियति को दोष न दे स्वैराचार से अतिचार का बधकर।। आ

नियति को दोष न दे
स्वैराचार से अतिचार
 का बधकर।।
आवर्त है नकाबपोश पाप
उजागर कर ना डर।।

©rkpoets
  सब पढ़ो 
         सब पढ़ो।।
ramkumarkushwah9363

rkpoets

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सब पढ़ो सब पढ़ो।। #कविता

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