Nojoto: Largest Storytelling Platform

ज़िन्दगी में कुछ अलफ़ाज़ कम हो जाए, तो कुछ ख्वाहिशों

ज़िन्दगी में कुछ अलफ़ाज़ कम हो जाए,
तो कुछ ख्वाहिशों को ख़ामोशी समझ लेना।
कुछ रिश्तों को तोड़ना पड़े, तो इसका मतलब नहीं,
कुछ लोगों को खो जाना, भीड़ में खोना नहीं।

हर एक तलाश लायेगी कुछ न कुछ,
पर अधूरे रिश्तों को क्या जानें वो।
बहुत कुछ हमसे नहीं कह पाएंगे,
पर ख़ामोशी से अधूरे लफ़्ज़ छोड़ जायेंगे हम।

इस दुनिया की हलचल और शोर में,
कुछ अलग सी जगह मिल जाये तो बेहतर है।
खामोशी में भी कुछ ख़ूबसूरती होती है,
कुछ अलग तरह का सुकून मिलता है उसमें।

जब अक्सर हमसे बातें नहीं होतीं,
तो खामोशी से सब कुछ समझ जाता है।
कुछ रिश्तों को इस तरह निभाना होता है,
जिसमें बोलना नहीं, सिर्फ एहसास होता है।

©विवेक कुमार मौर्या (अज्ञात ) ज़िन्दगी मे कुछ अल्फाज कम हो जायें.....
ज़िन्दगी में कुछ अलफ़ाज़ कम हो जाए,
तो कुछ ख्वाहिशों को ख़ामोशी समझ लेना।
कुछ रिश्तों को तोड़ना पड़े, तो इसका मतलब नहीं,
कुछ लोगों को खो जाना, भीड़ में खोना नहीं।

हर एक तलाश लायेगी कुछ न कुछ,
पर अधूरे रिश्तों को क्या जानें वो।
बहुत कुछ हमसे नहीं कह पाएंगे,
पर ख़ामोशी से अधूरे लफ़्ज़ छोड़ जायेंगे हम।

इस दुनिया की हलचल और शोर में,
कुछ अलग सी जगह मिल जाये तो बेहतर है।
खामोशी में भी कुछ ख़ूबसूरती होती है,
कुछ अलग तरह का सुकून मिलता है उसमें।

जब अक्सर हमसे बातें नहीं होतीं,
तो खामोशी से सब कुछ समझ जाता है।
कुछ रिश्तों को इस तरह निभाना होता है,
जिसमें बोलना नहीं, सिर्फ एहसास होता है।

©विवेक कुमार मौर्या (अज्ञात ) ज़िन्दगी मे कुछ अल्फाज कम हो जायें.....