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गिराकर भूल जाते है जाने शर्म या पछतावा उठना भूल ज

गिराकर  भूल जाते है
जाने शर्म या पछतावा
उठना भूल जाते है
अरे वो मस्त है मन में
यही तो शौक है उनका
संवरकर शान से चलते
चपलता चाल में इनकी
परखने भाव ये अपना
मटक कर शान से चलतीं
कोई इनको तो बतलाए
बलाएं क्यों बुलाती है
तुम्हारी इस परख में ही
तो कितनी जान जाती हैं

©दीपेश
  #अदाएं #बिजली