मैं ओढ़ लूँ ख़्वाब हकीकत के, या झूठ में ही खुद को खुश रहने दूँ, मैं उजाले से भर दूँ इस ज़िन्दगी को, या अंधेरो में ही खुद को रहने दूँ, मैं आज़ाद हो जाऊँ इस दुनिया के बंधनो से, या रीति-रिवाज़ो में खुद को बंधे रहने दूँ, मैं रुक जाऊं थोड़ा साहिल पे, या सागर की तरह खुद को बहने दूँ🖤 ©Vandana rana #Repeated