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मेरी फ़िक्रों में तू यूँ न वक़्त जाया कर कैसे कहु

मेरी फ़िक्रों में तू 
यूँ न वक़्त जाया कर 
 कैसे कहुँ ,
 मैं इस काबिल नहीं ... 
माना जुड़े है
 तार हमारे कुछ यूँ गहरे.. 
दिल चाहे भी तो,
  तेरे सिवा कही और न ठहरे.. 
मैं विचलित चंचल खारी धारा हूँ.. 
तू मीठा शांत निर्मल गंगा का पानी है ..
 तुझसे मौन , रहने का इरादा नहीं मेरा .. 
मगर तुझे बेवजह उलझने मैं दूँ   . 
ऐसा कैसे मैं करुँ . 
तुझमे बस्ता सुकून मेरा .. 
तेरे ख्वाबो को हक़ीकत कर सकूँ..
अब यही जूनून है मेरा ..

©A Saran #fikr
मेरी फ़िक्रों में तू 
यूँ न वक़्त जाया कर 
 कैसे कहुँ ,
 मैं इस काबिल नहीं ... 
माना जुड़े है
 तार हमारे कुछ यूँ गहरे.. 
दिल चाहे भी तो,
  तेरे सिवा कही और न ठहरे.. 
मैं विचलित चंचल खारी धारा हूँ.. 
तू मीठा शांत निर्मल गंगा का पानी है ..
 तुझसे मौन , रहने का इरादा नहीं मेरा .. 
मगर तुझे बेवजह उलझने मैं दूँ   . 
ऐसा कैसे मैं करुँ . 
तुझमे बस्ता सुकून मेरा .. 
तेरे ख्वाबो को हक़ीकत कर सकूँ..
अब यही जूनून है मेरा ..

©A Saran #fikr
asaran2562101615517

A Saran

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