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अपने चैन और सुकून को गंवा कर, रात-दिन मेहनत करता र

अपने चैन और सुकून को गंवा कर, रात-दिन मेहनत करता रहता है।
कहता है ना कुछ भी किसी से, सारी ही ख्वाहिशें पूरी करता रहता है।

ऊंगली पकड़कर चलना सिखाता, जीवन की सही राह को बताता है।
अपने वर्तमान को दांव पर लगाकर, बच्चों का भविष्य बनाता रहता है।

बच्चों को रखता अपनी पलकों पर, बेटा- बेटी में वो भेद ना करता है।
बिलख-बिलख कर रोता है वो बाप, जब बेटी की विदाई वह करता है।

टूट जाता है वो बाप बेचारा, जब उसकी बेटी दहेज की बलि चढ़ जाती है।
मां बच्चे की दुनियां होती है पर, बाप के लिए बच्चे उसकी दुनियां होते हैं।

बच्चों का मार्गदर्शन करता, जीवन भर जीने की कला सिखाता रहता है।
टूट जाता है वो बाप बेचारा, जब बेटा परवरिश को फर्ज का नाम देता है।

बच्चों की जिंदगी बनाने के लिए, अपनी सारी जिंदगी दांव पर लगाता है।
टूट जाता है वो बाप बेचारा, जब बेटा बोझ समझ वृद्धाश्रम छोड़ आता है। #sanjaysheoran
#ritiksheoran
#साहित्यिक सहायक
#वो_बाप_बेचारा
अपने चैन और सुकून को गंवा कर, रात-दिन मेहनत करता रहता है।
कहता है ना कुछ भी किसी से, सारी ही ख्वाहिशें पूरी करता रहता है।

ऊंगली पकड़कर चलना सिखाता, जीवन की सही राह को बताता है।
अपने वर्तमान को दांव पर लगाकर, बच्चों का भविष्य बनाता रहता है।

बच्चों को रखता अपनी पलकों पर, बेटा- बेटी में वो भेद ना करता है।
बिलख-बिलख कर रोता है वो बाप, जब बेटी की विदाई वह करता है।

टूट जाता है वो बाप बेचारा, जब उसकी बेटी दहेज की बलि चढ़ जाती है।
मां बच्चे की दुनियां होती है पर, बाप के लिए बच्चे उसकी दुनियां होते हैं।

बच्चों का मार्गदर्शन करता, जीवन भर जीने की कला सिखाता रहता है।
टूट जाता है वो बाप बेचारा, जब बेटा परवरिश को फर्ज का नाम देता है।

बच्चों की जिंदगी बनाने के लिए, अपनी सारी जिंदगी दांव पर लगाता है।
टूट जाता है वो बाप बेचारा, जब बेटा बोझ समझ वृद्धाश्रम छोड़ आता है। #sanjaysheoran
#ritiksheoran
#साहित्यिक सहायक
#वो_बाप_बेचारा