तेरे दर पे सनम हम नज़रें जमाये बैठे हैं तेरी हर बात को दिल से लगाये बैठे हैं, यह लोग जो गली से गुज़रते हैं रोज़-रोज़ मुझ पर यह अपनी नज़रें टिकाये बैठे हैं, तेरे दीद को बैठा हूँ मैं सुबह से, हुई शाम हम तेरे ख़यालों की महफ़िल सजाये बैठे हैं, देते नहीं तुम ध्यान भी,नज़रें भी लो चुरा तुम्हे देखने के लिए बातें बनाये बैठे हैं, जन्नत भी है दोज़ख़ भी,जाना है फिर कहाँ तेरे साथ जन्नतों के सामां बिछाए बैठे हैं। #poetry#ghazal#shayri#jannatein#ishq#saman