वो मेरा फौजी और मैं उसकी फौजन दिवानी। मिले थे एक दिन जब राहों में भरा था पानी। कुछ था उसकी आंखों में, जो कह रहा था सारी कहानी। फिर शुरू हुआ दौर मिलने, बतियाने का,हुई दोस्ती उससे और खिलने लगी जिंदगानी। वो मेरा फौजी और मैं उसकी फौजन दिवानी। बढ़ने लगी दोस्ती और गहराने लगा विश्वास, अब हर गम में भी थे एक-दुजे के साथ। लड़ाई जैसी बात का कहीं कोई नहीं था एहसास। क्योंकि दोनों समझते थे एक-दुजे के ज़ज्बात। गहराने लगी दोस्ती और होने लगा प्यार। ऐसी थी ये कहानी, वो मेरा फौजी और मैं उसकी फौजन दिवानी। #फौजी_फौजन