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दहशत की रंजिशी साजिशों से मैंने बाजारों में वीरानि

दहशत की रंजिशी साजिशों से
मैंने बाजारों में वीरानियों देखी
मैंने देखा जंगलों में आग लगी है
बच्चे बिलख रहे है
माँयें बेबस रो रही है
क्योंकि वो देख रहीं है
हुकूमत की आकांक्षा से
अपने आंचल की नाकामयाबी 
को हारते हुए
हुकूमत की आकांक्षा  
का दुशाला ओढे  हुए
वहशियाना  लोग
हिंसा महज खेल है जिनके लिए
मैंने देखा!
अनहोनियो का कत्ल होते हुए
माँयें सौंप  रही थी कलेजे  के टुकड़े 
पलायन  करने  वाले  हांथों  में 
मैंने देखा!
कुँवर अरुण

©Kunwar arun ¥ #KunwarBechain #kunwararun #Nojoto 

#Anhoni
दहशत की रंजिशी साजिशों से
मैंने बाजारों में वीरानियों देखी
मैंने देखा जंगलों में आग लगी है
बच्चे बिलख रहे है
माँयें बेबस रो रही है
क्योंकि वो देख रहीं है
हुकूमत की आकांक्षा से
अपने आंचल की नाकामयाबी 
को हारते हुए
हुकूमत की आकांक्षा  
का दुशाला ओढे  हुए
वहशियाना  लोग
हिंसा महज खेल है जिनके लिए
मैंने देखा!
अनहोनियो का कत्ल होते हुए
माँयें सौंप  रही थी कलेजे  के टुकड़े 
पलायन  करने  वाले  हांथों  में 
मैंने देखा!
कुँवर अरुण

©Kunwar arun ¥ #KunwarBechain #kunwararun #Nojoto 

#Anhoni