सब की पगड़ी को हवाओं में उछाला जाए सोचता हूं कोई अखबार निकाला जाए पी के जो मस्त है उनसे तो कोई खौफ नहीं पी के जो होश में है उनको संभाला जाए आसमां ही नहीं, एक चांद भी रहता है यहां भूलकर भी कभी पत्थर ना उछाला जाए नए आवाम की तामीर जरूरी है मगर पहले हम लोगों को मलबे से निकाला जाए। ©mukesh chaudhari सब की पगड़ी को हवाओं में उछाला जाए सोचता हूं कोई अखबार निकाला जाए पी के जो मस्त है उनसे तो कोई खौफ नहीं पी के जो होश में है उनको संभाला जाए आसमां ही नहीं, एक चांद भी रहता है यहां भूलकर भी कभी पत्थर ना उछाला जाए