आसान नहीं है, क्रांतिकारी होना.. क्रांति करने से पहले क्रांति करनी होती है खुद के साथ और लाना पड़ता है इंक़लाब ख़ुद में,किसी इंक़लाब से पहले और.. दुश्मन से पहले मारना पड़ता है ख़ुद के रिश्तों को ख़ुद की चाहतों को ख़ुद के परिवार को और ख़ुद की हसरतें तो दबा देनी होती हैं नारों में ! महबूबा बनाना पड़ता है गोली, टोली और किताबों को, और हाँ क्रांति भी यूँ ही नहीं आती किसी लफ़्फ़ाज़ के साथ, चुनती है अपना महबूब ख़ुद !!! जो करेगा मुहब्बत उससे किसी मुहब्बत से ज्यादा !!!! क्यूंकि मुहब्बत नहीं है आसान, और आसान नहीं है क्रांतिकारी होना !!!!! तीनों चिर युवाओं को नमन !! क्रांति