रफ़ाक़तो मे प़शेमानियां तो होती हैं । कि दोस्तो से भी नादानियां तो होती है । बस इस सब़ब से कि तुझ पर बहुत भरोसा था, गिले ना भी हो हैरानियां तो होती है । - अहमद फ़राज़ रफ़ाक़त = दोस्त , प़शेमानी = पछतावा सब़ब = कारण ©Ajay Singh Suryavanshi #friendshayri #FriendsareLife