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जब पहली बार मिली नजरे उनसे तो नजरो ने नजरो से कहा

जब पहली बार मिली नजरे उनसे 
तो नजरो ने नजरो से कहा 
तुम ही हो.....!
तुम ही हो......!

जब देखा पहली बार तुम्हे 
मन मे न उमंग न हलचल थी
चंद लम्हो और चंद बातो से
तेरी बात दिलो मे हरपल थी।
               जिन्हे बरसो तलाशा नैनो ने 
               उन नैनो की अगम्य तलाश हो तुम
               हर पल जो थी मेरे ख्वाबो मे
               उस ख्वाब का ललित आभाष हो तुम।


मेरे अधरो की भाषा छोड़ो 
बोली समझो इन आंखो की 
आंखो से आंखे पढलो तुम 
न अर्थ गढो मेरे बातो की ।
           बातो ही बातो मे जाने 
           ये ख्वाल दिलो मे आया है 
           कई बरसो से जो तपन रही 
           तेरा रूप उसी का छाया है ।


है कहना तुझसे लाखो बाते 
बातो मे कयी कहानी है 
पर शब्द नहि चुन पाता हु
आदत ये वही पुरानी है।
              शब्दो का उलझन मे जानु न
              सुलझन इसका इक तुम ही हो
              जब पहली बार मिली नजरे उनसे 
              तो नजरो ने नजरो से कहा 
              तुम ही हो......,
              तुम ही हो......,
              तुम ही हो......✍️✍️✍️✍️


महेश श्रीवास जाॅजगीर.....✍️✍️✍️✍️

©Mahesh Shriwas
  समर की यादो का गुलदस्ता

समर की यादो का गुलदस्ता #Shayari

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