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हर पल मुझे खुद में तेरी तलाश क्यों हैं तेरे मेरे म

हर पल मुझे खुद में तेरी तलाश क्यों हैं
तेरे मेरे मिलन में लगी कायनात क्यों हैं
दरबदर भटक रहा चढ़ा जुनून क्यों हैं
थक हार जो गिर गया इसमे क्यों सुकून है
दूरियों से दूरियों की नज़दीकियां ये क्यों है
खुद को खोकर पा लूँ तुझको ये फितूर क्यों है
तेरी मेरी अज़ीब सी ये दास्तान क्यों है #क्योंहै
हर पल मुझे खुद में तेरी तलाश क्यों हैं
तेरे मेरे मिलन में लगी कायनात क्यों हैं
दरबदर भटक रहा चढ़ा जुनून क्यों हैं
थक हार जो गिर गया इसमे क्यों सुकून है
दूरियों से दूरियों की नज़दीकियां ये क्यों है
खुद को खोकर पा लूँ तुझको ये फितूर क्यों है
तेरी मेरी अज़ीब सी ये दास्तान क्यों है #क्योंहै