काश कि जिंदगी आसान होती घड़ी दो घड़ी ही सही काश कि मेरे मकां की मेहमान होती एक मुलाकात तो हो जाती इस बहाने बेशक इससे आगे की जान पहचान न होती तेरे तसव्वुर मे ये जो गुजर गई अपनी गर तुझसे मिल लेते तो ये आँखें आज यूँ हैरान न होती काश कि जिंदगी आसान होती घड़ी दो घड़ी ही सही काश कि मेरे मकां की मेहमान होती...... #अंजान.... ©निखिल कुमार अंजान #कविता #जिंदगी #नोजोटो #लेखक #हिंदी #कोट्स #अंजान...