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नटखट नन्द लाल बैठि गए सामने हैं, हुईं राधिकाजी मन

नटखट नन्द लाल बैठि गए सामने हैं, हुईं राधिकाजी मन माँहि सकुचानी सी।
घूँघट के पटन की ओट जो हटान चाही,सिमटी सी हुईं श्यामा नजर झुकानी सी।।
साँवरे के नैंनन सों मिल नहीं पावें नैंन,सोचि सोचि राधा मन माँहि अकुलानी सी।
'परेशान' हिय में समाई ई मधुर छवि, दादी नानियों की बचपन की कहानी सी।।
✍परेशान✍

©Jitendra Singh #RADHESHYAM
#KISHORISHYAM
#RADHAMANOHAR
#RADHAMADHAV
#RADHEKRISHN jaat foujdar 7877 anjali foujdar ram singh yadav Dharmendra Singh Rakesh Srivastava
नटखट नन्द लाल बैठि गए सामने हैं, हुईं राधिकाजी मन माँहि सकुचानी सी।
घूँघट के पटन की ओट जो हटान चाही,सिमटी सी हुईं श्यामा नजर झुकानी सी।।
साँवरे के नैंनन सों मिल नहीं पावें नैंन,सोचि सोचि राधा मन माँहि अकुलानी सी।
'परेशान' हिय में समाई ई मधुर छवि, दादी नानियों की बचपन की कहानी सी।।
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