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उसको अब भी उसी राह की चाह है जिसको समझा के हारे य

उसको अब भी उसी राह की चाह है 
जिसको समझा के हारे ये जीवन ये मन
उसको भाता है जीना सहज राह पर
वह समझता नहीं अश्क या दर्द मन
 
बिखर कर रह गए खुद ही जो ख्वाबों की बुनाई में 
बहुत खोया था मन को मन की इस गहरी सिलाई में 
कोई है ढूंढ़ता हमको नई शर्तों की सीमा में 
कोई है ढूंढ़ता हमको सहजता की कलाई में
हर एक शर्त एक तरफा चले यह बात कैसी है
बहुत खोया था मन को मन की इस गहरी सिलाई में 
मैं खुद के अश्क पढ़ता हूं मैं खुद के गीत सुनता हूं
उसको अब भी उसी राह की चाह है 
जिसको समझा के हारे ये जीवन ये मन
उसको भाता है जीना सहज राह पर
वह समझता नहीं अश्क या दर्द मन
 
बिखर कर रह गए खुद ही जो ख्वाबों की बुनाई में 
बहुत खोया था मन को मन की इस गहरी सिलाई में 
कोई है ढूंढ़ता हमको नई शर्तों की सीमा में 
कोई है ढूंढ़ता हमको सहजता की कलाई में
हर एक शर्त एक तरफा चले यह बात कैसी है
बहुत खोया था मन को मन की इस गहरी सिलाई में 
मैं खुद के अश्क पढ़ता हूं मैं खुद के गीत सुनता हूं
saurabhmishra6084

saurabh

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