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झूठे नेताओं की बातों में ना आओ, बुद्धिजीवियों को

झूठे नेताओं की बातों में ना आओ, 
बुद्धिजीवियों को भी 
मुंह न लगाओ। 
धीरज रखकर, जाति, मज़हब के चश्मे से बाहर आओ।। 
हम लड़ेगें, तुम लड़ोगे, ख़त्म होगी जवानियां।
ऐसे रहा तो कुछ न बचेगा, केवल बचेंगी कहानियां। 
हम न रहे, तुम न रहे, कहाँ होगी शिकायतें, कहाँ परेशानियां।। 
आओ हम सब मिलकर सोचे,सुलझायें ना करे नादानियां। 
हम भी रहेगें, तुम भी रहोगे,बनेगी नयी  कहानियां। 
भारत की उस गंगा -जमुनी तहजीब का वास्ता, आओ मिलकर कोई निकाले रास्ता ।।
देश में अमन के लिए।
हमारा फर्ज है भूलों को दिखाए रास्ता,। देश की राजधानी दिल्ली के हालात पर शांति अपील
झूठे नेताओं की बातों में ना आओ, 
बुद्धिजीवियों को भी 
मुंह न लगाओ। 
धीरज रखकर, जाति, मज़हब के चश्मे से बाहर आओ।। 
हम लड़ेगें, तुम लड़ोगे, ख़त्म होगी जवानियां।
ऐसे रहा तो कुछ न बचेगा, केवल बचेंगी कहानियां। 
हम न रहे, तुम न रहे, कहाँ होगी शिकायतें, कहाँ परेशानियां।। 
आओ हम सब मिलकर सोचे,सुलझायें ना करे नादानियां। 
हम भी रहेगें, तुम भी रहोगे,बनेगी नयी  कहानियां। 
भारत की उस गंगा -जमुनी तहजीब का वास्ता, आओ मिलकर कोई निकाले रास्ता ।।
देश में अमन के लिए।
हमारा फर्ज है भूलों को दिखाए रास्ता,। देश की राजधानी दिल्ली के हालात पर शांति अपील

देश की राजधानी दिल्ली के हालात पर शांति अपील #कविता