आइए आपको एक कहानी सुनाता हु। अच्छी लगे तो उत्साह वर्धन करिएगा,जलिएगा नहीं। माफ़ करिएगा मेरी इस गुस्ताखी को,ये नई दुनिया है साहब, यहां जलते ज्यादा है दूसरो की प्रसंशा से। एक भगवान था। एक जीव बनाया जो अब इंसान है। अब भगवान कौन था। बस ऐसे ही प्रश्न करता है,अपने सफलता की उचाईयो से। अपने औकात को भूल सा गया,अपने आपको ही अब ईश्वर समझ रहा। ना जाने अब कहा गया उसका घमंड, दुनिया से लड़ने का। अब एक अदृश्य जीव के सामने नतमस्तक हो रहा। अब फिर पुछता कहा हो ।।ईश्वर।। ©neeraj rai #5Linespoetry #चौपाल