हां........ , हां मैं टूट चुका हूं । पर , टूटा हुआ तारा और भी आला दमकता है । ( Read full piece in caption) ©Anuradha Sharma हां........, हां मैं टूट चुका हूं । पर , टूटा हुआ तारा और भी आला दमकता है । टूटने का दर्द , चमक में बदल लेता यूं । जुदा होने का गम , सीने में रखता है । बावजूद , ख़ुद की पहचान मैं बनूं । दूसरे के मंज़र में , तारा बनूं ख्वाहिश है । रखूं सीने , ज़िंदगी-ए-रौशन का जुनू । आंखों में ख़ुशी-ए-कतरा , दीदार कराता है ।