मैं ही हूं जो जिम्मेदार खुद मेरी हश्र का । तो फिर शिकवा क्या शिकायत क्या ? जो चाहता नहीं था हो कभी, फिर हो गया । अब इस बात से परहेज़ क्या, इनायत क्या ? फिलहाल थोड़ी देर ठहरना ही मुनासिब है । इस महरूम दिल की खैरियत के लिए । जो किया कराया है वो मेरा ही कसूर है । फूल से चेहरे से रुस्वाईयत क्या, शिकायत क्या ? ©"Vibharshi" Ranjesh Singh heartbreak