सम्पूर्ण जगत में सर्वोत्तम, बस अपना भारत प्यारा है । कल भी सोने की चिड़िया थे, कल भी हों प्रण ये सारा है।। इतिहास जो हमें पढाया गया, था दूर बहुत सच्चाई से । गुणगान बहुत गाये हमने, मक्करों अताताइयों के ।। आक्रांता कोई आया हो, और हम उसका गुणगान करें? यह जानबूझकर लिखवाया, अब भूल मान लें हम सुधरें ।। अपने ही राष्ट्र को तुच्छ कहा, और हम सबने स्वीकारा है । सम्पूर्ण जगत में सर्वोत्तम, पर अपना भारत प्यारा है ।। कल भी सोनेकी चिड़िया थे, कल भी हों प्रण ये सारा है ।। अपनी स्वतंत्रता से पहले, एक मजहब को उन्माद जगा । हमने तो दो दो राष्ट्र दिए, अम्बर छू लेंगे उन्हें लगा ।। आक्रांताओं के कदमों पर, ये दोनों राष्ट्र ही निकल पड़े। निज का ही सर्वनाश करके, दुर्दशा हुई हैं विकल बड़े ।। हम कल भी सुख से जीते थे, अब भी सुख सम्मुख सारा है। सम्पूर्ण जगत में सर्वोत्तम, बस अपना भारत प्यारा है ।। कल भी सोने की चिड़िया थे, कल भी हों प्रण ये सारा है।। अपने सम्पूर्ण प्रयासों से, अब सुन्दर हिंदुस्तान बना । पीछे मुड़ कर नहीं देखेंगे, हम पूरा करेंगे हर सपना।। सुनलो सारी दुनिया वालो, हम ही अम्बर पर छायेंगे। कर ले प्रयास कोई कितना भी, हम विश्व गुरु कहलायेंगे।। संक्षिप्त समय में हमने भी, ये हिंदुस्तान संवारा है। सम्पूर्ण जगत में सर्वोत्तम, बस अपना भारत प्यारा है ।। कल भी सोने की चिड़िया थे, कल भी हों प्रण ये सारा है।। जय श्री राम ©bhishma pratap singh #सर्वोत्तम हिंदुस्तान मेरा भारत महान#हिन्दी कविता सितंबर सँगीत#भीष्म भीष्म प्रताप सिंह #हिन्दी कविता