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हाल दिल का सुनाना चाहता था, तुम्हे अपना बनाना चाहत

हाल दिल का सुनाना चाहता था,
तुम्हे अपना बनाना चाहता था,
 
कब तलक छुपाऊं अपनी मोहब्बत,
तुम्हे हाले दिल बताना चाहता था,

शर्मो-हया से रुख पर जो बिखरी जुल्फें तेरी,
उनको रुख से हटाना चाहता था,

एक मुद्द्त से रहा प्यासा तेरी चाहत का,
तुझको एक बार सीने से लगाना चाहता था,
 
तुम मुझे ही चाहो और दुनिया भुला दो,
जादू यह इश्क का चलाना चाहता था, 
तब
तुम्हे दिल में बसा कर लिखी जो ग़ज़ल थी,
अब
उसे तुम्हे सुनाना चाहता हूँ।

©Prem_pyare #writer #गजल_सृजन #प्यार_का_एहसास
हाल दिल का सुनाना चाहता था,
तुम्हे अपना बनाना चाहता था,
 
कब तलक छुपाऊं अपनी मोहब्बत,
तुम्हे हाले दिल बताना चाहता था,

शर्मो-हया से रुख पर जो बिखरी जुल्फें तेरी,
उनको रुख से हटाना चाहता था,

एक मुद्द्त से रहा प्यासा तेरी चाहत का,
तुझको एक बार सीने से लगाना चाहता था,
 
तुम मुझे ही चाहो और दुनिया भुला दो,
जादू यह इश्क का चलाना चाहता था, 
तब
तुम्हे दिल में बसा कर लिखी जो ग़ज़ल थी,
अब
उसे तुम्हे सुनाना चाहता हूँ।

©Prem_pyare #writer #गजल_सृजन #प्यार_का_एहसास