हर्फ़ दर हर्फ़ याद हैं वो खत दो रोजा मोहब्बत के, एहसान किया करती थी कोई पर्दानशीं हम पर कभी। ......✍️राहिल #खत #दो_रोजा_मोहब्बत #पर्दानशीं