क्यों नाराज हो ज़िन्दगी मुझसे, मुझसे कोई पुराना बैर तो नहीं। क्यों गम ही गम दिए जा रही है, मुझे खुशियों से परहेज़ तो नहीं। ज़ख्म पे ज़ख्म दिए जा रही हो, पास मेरे मरहम के ढेंर तो नहीं। कभी होगी मेहरबां खुशियां भी, देर है,ईश के घर अंधेर तो नहीं। JP lodhi 30/08/2021 ©J P Lodhi. #MereKhayaal #nojotowriters #nojotonews #nonototeam #nojotohindi #nojotoenglish #Poetry