ज़ख्म-ए-प्यार मेरा ख़ुद से ही अपने दिल के टुकड़े कितनी बार करेंगे, कब तक, ख़ामोश रह दर्द सहने की हदें पार करेंगे, ढूँढ़ते रहेंगे भला कैसे झूठी वज़हें अपने ज़ख्मों की, और फ़िर किस तरह से उन वज़हों पर ऐतबार करेंगे, तकलीफ़ जब बढ़ती जाएगी बीतते हर पल के साथ, हालातों के हाथों कैसे हम ख़ुद ही ख़ुदको ख़्वार करेंगे, ख़्वाबों के आगोश में भी तो आराम मयस्सर नहीं अब, कितनी दफ़ा, ये ख़्याली सुकूँ भी अपना तार-तार करेंगे, झूठे वादों की भी कोई तो इंतिहा होती ही होगी “साकेत", बता! टूटे दिल से किस हद तक उस बेवफ़ा से प्यार करेंगे? IG :— @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla ज़ख्म-ए-प्यार मेरा...! . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© . Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength .