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सूरज ढला तो क़द से ऊंचे हो गए साये, कभी पैरों से र

सूरज ढला तो क़द से ऊंचे हो गए साये,

कभी पैरों से रोंदी थी यहीं परछाइयाँ हमने।।

©chhagan
  सूरज ढला तो क़द से ऊंचे हो गए साये,

कभी पैरों से रोंदी थी यहीं परछाइयाँ हमने।।
#changetheworld  TanyaSharma Riⷭyⷴaͩ Raⷴjⷴpͮuͦtⷡ Ricky bhai kavita ranjan Prajwal Bhalerao
सूरज ढला तो क़द से ऊंचे हो गए साये,

कभी पैरों से रोंदी थी यहीं परछाइयाँ हमने।।

©chhagan
  सूरज ढला तो क़द से ऊंचे हो गए साये,

कभी पैरों से रोंदी थी यहीं परछाइयाँ हमने।।
#changetheworld  TanyaSharma Riⷭyⷴaͩ Raⷴjⷴpͮuͦtⷡ Ricky bhai kavita ranjan Prajwal Bhalerao
chhagan9932

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