सूरज ढला तो क़द से ऊंचे हो गए साये, कभी पैरों से रोंदी थी यहीं परछाइयाँ हमने।। ©chhagan सूरज ढला तो क़द से ऊंचे हो गए साये, कभी पैरों से रोंदी थी यहीं परछाइयाँ हमने।। #changetheworld Riⷭyⷴaͩ Raⷴjⷴpͮuͦtⷡ kavita ranjan Prajwal Bhalerao