तुम ज़रा देर से आना मेरे यार۔ जब मयत मेरी दफ़न हो चुकी हो۔ जब बे हैसियत लाश मेरी --- ज़मीं के भीतर खो चुकी हो۔ ज़रा मैं भी तो देखूं--- मेरे जाने के गम में तुम कितना रोए हो۔ लब भीगी है या फिर दामन भिगोए हो۔ भीड़ भरे मजमे में तो "इब्राहिमी" हर कोई रो रहा होगा۔ तो फिर गुजा़रिश, आना ज़रा देर से- ....