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घर की याद आ रही है आज बारिश हो रही है, पेड़ पौधे ह

घर की याद आ रही है
आज बारिश हो रही है, पेड़ पौधे ही नहीं, मन भी भिगो रही है, मै व्याकुल, मन व्याकुल, घर की याद आ रही है, ठन्डे मौसम की नमी घर की याद ला रही है!
अपनी माँ से कौसों दूर बैठा मन आज विचलित है, आँखों में आज नींद नहीं, नमी निश्चित है, माँ के अंचल में सारे दुःख छोटे पड़ जाते हैं, मां के सिर थप-थपाने से माथे के बल घट जाते हैं, मै व्याकुल, मन व्याकुल, घर की याद आ रही है, ठन्डे मौसम की नमी माँ की याद ला रही है!
अनुज की शरारतें याद आ रही हैं, उसके निश्चल प्रेम भाव की कल्पनाएं गुद-गुदा रही हैं, है अनुज, बातें समझदारी की करता है, परिवार में सब का दुलारा वो, सबको सुख-संचित करता है, मै व्याकुल, मनै व्याकुल, घर की याद आ रही है, ठन्डे मौसम की नमी अनुज की याद ला रही है।
गणित के सवाल, हिंदी के दोहे, जब कुछ समझ न आते थे, अंग्रेजी के अक्षर, संस्कृत के श्लोक प्रेत से नज़र आते थे, तब मेरे पिता का सशक्त आश्वासन मुझ में हिम्मत निर्मित करता, मेरे पिता का सुद्रढ़ व्यवहार मुझे में अटूट लगन सुनिश्चित करता, मै व्याकुल, मन व्याकुल, घर की याद आ रही है, ठन्डे मौसम की नमी पिता की याद ला रही है!
आज बारिश हो रही है, पेड़ पौधे ही नहीं, मन भी भिगो रही है, मै व्याकुल, मन व्याकुल, घर की याद आ रही है, ठन्डे मौसम की नमी घर की याद ला रही है

©Samrat
  aaj ghar ki yad a rahi hai
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Samrat

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aaj ghar ki yad a rahi hai #विचार

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