खुदके ही सवालों से इतना उलझ गई,,
कि बाहर का शोर सिर्फ एक आवाज बनकर रह गया।
खुद को भी खोया है सिर्फ एक डर से,,
जो न ही भूलता है, न ही आगे बढ़ने देता है।
कैसे जिताऊं मैं खुदको, खुदके ही डर से,,
जो मैं खुद भी जानती हूँ, पर जीत नहीं पा रही।
सबको यही लगता है कि मैं पागल हूँ,,
पर मैंने खुदको भी खोया है खुदको ही बचाने में ।। #Life#HeartfeltMessage