चलते चलते बस पता पूछा जाते जाते कहाँ कुछ कह गया हर बार राहगीर कोई रह गया वही जब हसरतों की आँधिया चली उसी में मेरा पक्का मकान ढह गया हर बार राहगीर कोई रह गया मैंने हँसकर ही उनसे मुलाक़ात की ये आँसू कहीं कोना पकड़के बह गया हर बार राहगीर कोई रह गया कुछ ज़ख़्म महीनो बाद दिखते हैं मुझे ये निगाहें सालों मै, यूँ ही सह गया हर बार राहगीर कोई रह गया #राहगीर #vatsa #dsvatsa #illiteratepoet #yqbaba #yqpoetry #hinfipoetry चलते चलते बस पता पूछा जाते जाते कहाँ कुछ कह गया हर बार राहगीर कोई रह गया वही जब हसरतों की आँधिया चली उसी में मेरा पक्का मकान ढह गया