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इंद्रासन की खातिर,बहु बार छल करते देखा है भंग करने

इंद्रासन की खातिर,बहु बार छल करते देखा है
भंग करने को यज्ञ बली का,वामन रूप धरते देखा है
ये वक्त है जानब
इसने बहुतों को बदलते देखा है।।
उसूलों पर अपने ,प्राण लुटाते देखा है
स्वार्थ के लिए अपनो को अपनो से उलझते देखा है
रेत के मानिंद हाथ से फिसलते देखा है
अजेय राणा को,चित्तौड़ हारते देखा है
ये वक्त है जनाब
इसने बहुतों को बदलते देखा है।।
सदा जीत चखने वाले को,मुंह की खाते देखा है
विश्व विजेता सिकंदर को भी,व्यास से लौटते देखा है
इसने अंग्रेजो को,शासन करते देखा है
भिखारी बन आने वालों को, अधिपति बनते देखा है
ये वक्त है जनाब
इसने बहुतों को बदलते देखा है।।
कठिन से कठिन दौर को बदलते देखा है
बड़ी से बड़ी खुशी को भी गुजरते देखा है
ये वक्त है जनाब
इसने बहुतों को बदलते देखा है।।...… #time #quotes #life #truthquotes #poetry #timequotehindi #hindipoem
इंद्रासन की खातिर,बहु बार छल करते देखा है
भंग करने को यज्ञ बली का,वामन रूप धरते देखा है
ये वक्त है जानब
इसने बहुतों को बदलते देखा है।।
उसूलों पर अपने ,प्राण लुटाते देखा है
स्वार्थ के लिए अपनो को अपनो से उलझते देखा है
रेत के मानिंद हाथ से फिसलते देखा है
अजेय राणा को,चित्तौड़ हारते देखा है
ये वक्त है जनाब
इसने बहुतों को बदलते देखा है।।
सदा जीत चखने वाले को,मुंह की खाते देखा है
विश्व विजेता सिकंदर को भी,व्यास से लौटते देखा है
इसने अंग्रेजो को,शासन करते देखा है
भिखारी बन आने वालों को, अधिपति बनते देखा है
ये वक्त है जनाब
इसने बहुतों को बदलते देखा है।।
कठिन से कठिन दौर को बदलते देखा है
बड़ी से बड़ी खुशी को भी गुजरते देखा है
ये वक्त है जनाब
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