उपेक्षाओं की लहरों को झेलते हुये अपेक्षाओं की तिनकों का रहना बरकरार । उसपर भी नजरों से किये जाते रहे अक्सर ही सवाल किस तरह सम्हाले कोई खुद को , ज़िंदगी क्यूं न हो बद्दहाल । सच कहूँ तो हूँ रहती मैं अक्सर ही परेशान बहुत उलझाते हैं मुझको मेरे खयाल । ©gudiya #Nojoto #nojotohindi 23 August 20219:33am #MereKhayaal