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जब से तुम से बिछड़ा हूँ मेरी गलती की आभास हो गयी, त

जब से तुम से बिछड़ा हूँ मेरी गलती की आभास हो गयी,
तू थी सही मै ही था ग़लत अब मुझे विश्वास हो गयी,
बस तेरे एक चाहत में दिन भार पागल बन कर घुमता हूँ,
मत रुला इतना तू अब तेरी कमी की एहसास हो गयी।

कवि अभिषेक आर्य
9934269560 #Sad_Shayri~#abhishekarya,@@#jabse_tumse_bichhada_hu.
जब से तुम से बिछड़ा हूँ मेरी गलती की आभास हो गयी,
तू थी सही मै ही था ग़लत अब मुझे विश्वास हो गयी,
बस तेरे एक चाहत में दिन भार पागल बन कर घुमता हूँ,
मत रुला इतना तू अब तेरी कमी की एहसास हो गयी।

कवि अभिषेक आर्य
9934269560 #Sad_Shayri~#abhishekarya,@@#jabse_tumse_bichhada_hu.