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"हर बार मुझे जख्म ए दिल ना दिया कर, तू मेरी नहीं त

"हर बार मुझे जख्म ए दिल ना दिया कर,
तू मेरी नहीं तो मुझे दिखाई ना दिया कर,
सच-झूठ तेरी आँखों से हो जाता हैं जाहिर,
क़समें ना खा, इतनी सफाई ना दिया कर." मुझे सभ पता है
"हर बार मुझे जख्म ए दिल ना दिया कर,
तू मेरी नहीं तो मुझे दिखाई ना दिया कर,
सच-झूठ तेरी आँखों से हो जाता हैं जाहिर,
क़समें ना खा, इतनी सफाई ना दिया कर." मुझे सभ पता है

मुझे सभ पता है