वो पतंग की जू थी मै था कोई कच्चा धागा रे वो कटगी मेरे ते मै रह गया आधा रे मै बिताऊं उम्र उसके साथ था यों मेरा इरादा रे मै सपना में भी उसकी यादां के पीछे भागा रे जब कुछ ना लगा हाथ मै नींद ते उठ गया फेर इस ढाल रोया जनों मेरा सब कुछ लूट गया नकली नोटा की जू था हर वादा मरजानी का मने कदे नी सोचा था नू रंग बदलेगा पानी का वो महबूब पुराणा मेरा रेत की जू हाथा ते लिकड़ गया मै आशिक पुराणा यार उसका जी ते जी मर गया #अरमान मै था कोई कच्चा धागा रे....