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चंद शब्दो मे कैसे भर लू तुम्हे शब्द कहाँ जो टोके त

चंद शब्दो मे कैसे भर लू तुम्हे
शब्द कहाँ जो टोके तुम्हे
क्षितिज सा है,तुम्हारा अंजन
छवि से तू रंजन।

वट के जड़ सा कभी
तो कभी छुई-मुई सा मन
अधरों में असीम से चुप्पी 
तो कभी जवानी में भी
खिलखिलाता बचपन
छवि से तू रंजन।

जग-जीवन मे जब
रिश्तों की बात आई
निकल के "यारी" हमारी
कुंदन सी चमक आई
निस्वार्थ हमारा बन्धन
छवि से तू रंजन।
                                        ...जीत

©ranjit winner #रंजन
चंद शब्दो मे कैसे भर लू तुम्हे
शब्द कहाँ जो टोके तुम्हे
क्षितिज सा है,तुम्हारा अंजन
छवि से तू रंजन।

वट के जड़ सा कभी
तो कभी छुई-मुई सा मन
अधरों में असीम से चुप्पी 
तो कभी जवानी में भी
खिलखिलाता बचपन
छवि से तू रंजन।

जग-जीवन मे जब
रिश्तों की बात आई
निकल के "यारी" हमारी
कुंदन सी चमक आई
निस्वार्थ हमारा बन्धन
छवि से तू रंजन।
                                        ...जीत

©ranjit winner #रंजन