वो गए तो जैसे सारा आसमान रो पड़ा। रो पड़ा तिरंगा और राष्ट्र गान रो पड़ा।। हल चला रहा था खेत में किसान रो पडा। और भारत का जैसे संविधान रो पड़ा।। छोड़ कर सुगंध सारे फूल जैसे रो पड़े। कष्ट के प्रदाता आज शूल जैसे रो पड़े।। बालवृंद खेल सारे भूल जैसे रो पड़े। प्रेम के प्रतीक सब समूल जैसे रो पड़े।। इंकलाब जिंदाबाद ©anurag bauddh #इंकलाब_जिंदाबाद #Shaheedi_diwas