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निश्छल, पाकीज़ा स्पर्श तेरा, मातृत्व का एहसास दिला

निश्छल, पाकीज़ा स्पर्श तेरा, मातृत्व का एहसास दिलाता है,
जीस्त-ए-जिंदगी में प्यार वात्सल्य का सुख दिलाता है,
तल्लीननता  वश करके, मासूमीयत से फ़ज़ा से मग्मूमीयत मिटाते हैं,
उनकी मासूमियत है मूलधन, बादशाही हंसी से दुखों को समाप्त करने का सामर्थ्य रखते हैं। 🌝प्रतियोगिता-117🌝
 
✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️

🌹"मासूमियत"🌹

🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या 
केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I
निश्छल, पाकीज़ा स्पर्श तेरा, मातृत्व का एहसास दिलाता है,
जीस्त-ए-जिंदगी में प्यार वात्सल्य का सुख दिलाता है,
तल्लीननता  वश करके, मासूमीयत से फ़ज़ा से मग्मूमीयत मिटाते हैं,
उनकी मासूमियत है मूलधन, बादशाही हंसी से दुखों को समाप्त करने का सामर्थ्य रखते हैं। 🌝प्रतियोगिता-117🌝
 
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🌹"मासूमियत"🌹

🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या 
केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I
mrsrosysumbriade8729

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