उदास खिडकी छोटी सी शिकायत दिल में कबसे दबी है ! पास खिड़की के खड़े हो के रात जगी है! उदासी की दुनिया में वही किरण बची है ! सूरज की रोशनी सुकून बन के वहीसें आई है ! भीड़ से दूर होकर अकेलेपन की राह पकड़ी है! पास ना आओ कोई यही मेरी दुनिया बची है ! मैं भी तन्हा हूं मन में वो भी अकेली यही है ! कहूं मैं बात और वो सुने यही साथ खड़ी है! ©VAniya writer * #udasi #window #gajal #sadgajal #Umeed vaniyawriter ✍️ #Loneliness