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माता रुद्राणां दुहिता वसूनां स्वसादित्यानामृतस्य न

माता रुद्राणां दुहिता वसूनां स्वसादित्यानामृतस्य नाभिः।
प्र नु वोचं चिकितुषे जनाय गामनागामदितिं वधिष्ट।।
(ऋग्वेद ८/१०१/१५)
गाय रुद्रों की माता, वसुओं की पुत्री, अदिति पुत्रों की बहन और घृतरूप अमृत का खजाना है; प्रत्येक विचारशील पुरूष को मैंने यही कहा है कि निरपराध एवं अवध्य गौ का वध न करो। गौ का वर्धन ही गोवर्धन पूजा है।
माता रुद्राणां दुहिता वसूनां स्वसादित्यानामृतस्य नाभिः।
प्र नु वोचं चिकितुषे जनाय गामनागामदितिं वधिष्ट।।
(ऋग्वेद ८/१०१/१५)
गाय रुद्रों की माता, वसुओं की पुत्री, अदिति पुत्रों की बहन और घृतरूप अमृत का खजाना है; प्रत्येक विचारशील पुरूष को मैंने यही कहा है कि निरपराध एवं अवध्य गौ का वध न करो। गौ का वर्धन ही गोवर्धन पूजा है।

गौ का वर्धन ही गोवर्धन पूजा है।