ये जिंदगी है लड़खड़ाना क्या अब क़दम पीछे हटाना क्य

ये जिंदगी है लड़खड़ाना क्या
अब क़दम पीछे हटाना क्या
हौसला रख अपने कर्मों पर
व्यर्थ का अश्क बहाना क्या
ये जिंदगी है.....
ठोकर लगते हैं तो लगने दो
जलने वालों को और जलने दो
खोने पाने की गणित लगाना क्या
ये जिंदगी है.....
ज़ख्म खुद ही मरहम को ढूढेंगे
जब तेरे मनोबल के बाण छूटेंगे
"सूर्य" अब बोलो घबराना क्या
ये जिंदगी है.....

©R K Mishra " सूर्य "
  #ये_जिंदगी  अभय (पथिक) जलते आंसू J P Lodhi. Rama Goswami narendra bhakuni
play