क्या मेरे भी नहीं थे क्या क्या उसी मोड़ पे अबतक मैं खड़ा इंतज़ार में मरहूम तो नहीं हुआ क्या, हौसला था के साथ मिलेगा और रंजिश जाएगी अजी जाइए उन्हें शायद कभी तो मेरी चुभन खायेगी । बदनाम है माधव हौंसला किसे देता, खुशी अब भी उनके हिस्से और मौत हमें आएगी । ये क्या की चंद ही लम्हों में वो बार बार हल्के हो गए, उन्हें मेरी कलम चाहिए थी और मुझे वो फीकी सुखी सफेद कागज़ पर सफ़ेद सियाही । मेरे भी थे कुछ ख़्वाब... #मेरेभीथेख़्वाब #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi