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माटी के गर्भ से जन्म जब उसका हुआ संसार की डगर प

माटी के गर्भ से 
 जन्म जब उसका हुआ
 संसार की डगर पर
 अंकुरण जो उसका हुआ
 पर यह क्या,रोंद दिया गया उसे
 पांवो तले किसी के द्वारा
 दब गया फिर से
 जहां से अंकुरित वह हुआ
 वृक्ष बनने का सपना संजोए
 फूट पड़ा था वह माटी से
 पर माटी थी वह ऐसी
 गलत जगह पर चिन्हित थी 
 नवाचार भरे उसके सपने
 परिवर्तन की जननी थी
 ना आ सका नजर में किसी के
 असुरक्षित स्थल पर जो फूटा था
 कुचल दिया गया असहज ही
 ऐसा उसका किस्सा था |
©kirtesh #poem #society #tree #change #dream #youth
माटी के गर्भ से 
 जन्म जब उसका हुआ
 संसार की डगर पर
 अंकुरण जो उसका हुआ
 पर यह क्या,रोंद दिया गया उसे
 पांवो तले किसी के द्वारा
 दब गया फिर से
 जहां से अंकुरित वह हुआ
 वृक्ष बनने का सपना संजोए
 फूट पड़ा था वह माटी से
 पर माटी थी वह ऐसी
 गलत जगह पर चिन्हित थी 
 नवाचार भरे उसके सपने
 परिवर्तन की जननी थी
 ना आ सका नजर में किसी के
 असुरक्षित स्थल पर जो फूटा था
 कुचल दिया गया असहज ही
 ऐसा उसका किस्सा था |
©kirtesh #poem #society #tree #change #dream #youth