बाहर की खूबसूरती ने भटकाया मन को अंदर क्या है कभी समझ न आया मन को दिल्ली देखी,पेरिस देखा,और न जाने क्या क्या पर सुकून फिर भी न मिल पाया मन को भोगों की चाहत में रोग मोल ले लिए कई इन्द्रियों के खातिर जाने क्यों दौड़ाया मन को ©Kamlesh Kandpal #Mn